उत्तराखंड में डेंगू के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। सोमवार को डेंगू मरीजों की संख्या 544 तक पहुंच चुकी है, इस वजह से ब्लड बैंकों पर प्लेटलेट के लिए दबाव बढ़ने लगा है। लेकिन राज्य के पांच जिले ऐसे हैं जहां ब्लडबैंकों में प्लेटलेट की सुविधा ही नहीं है। यदि इन जिलों में डेंगू फैला तो आने वाले समय में मरीजों की मुश्किल बढ़ सकती है।
तीन जिलों में ब्लड सैपरेशन मशीन ही नहीं
चम्पावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों के ब्लड बैंक में प्लेटलेट बनाने के लिए सैफरेशन मशीन नहीं है। इस वजह से मरीजों को जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट नहीं मिल पाती और उन्हें मजबूरन हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज रैफर होना पड़ता है। यदि मरीज रेफर नहीं हो सकता तो फिर परिजनों को दूर दूर से प्लेटलेट की व्यवस्था करनी पड़ती है।
हरिद्वार, दून में बढ़ी प्लेटलेट की डिमांड
देहरादून और हरिद्वार में डेंगू मरीजों में इजाफा होने के बाद प्लेटलेट की डिमांड बढ़ गई है। देहरादून जिले में मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से दस फीसदी तक डिमांड बढ़ी है। जबकि हरिद्वार में प्लेटलेट की डिमांड में 20 फीसदी तक का इजाफा हो गया है। हरिद्वार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले 15 दिनों में प्लेटलेट की डिमांड में 20 फीसदी तक बढ़ी है। अधिकारियों ने बताया कि जिले के ब्लड बैंक में 46 यूनिट प्लेटलेट उपलब्ध है।
इधर राजधानी देहरादून में आईएमए ब्लड बैंक पर सबसे अधिक दबाव है। आईएमए ब्लड बैंक के निदेशक टैक्नीकल डॉ संजय उप्रेती ने बताया कि मरीज बढ़ने की वजह से प्लेटलेट की डिमांड में इजाफा हो गया है। पहले एक दिन में पांच यूनिट प्लेटलेट की डिमांड थी जो अब 20 यूनिट तक पहुंच गई है। हालांकि दून व अन्य ब्लड बैंकों में डिमांड अभी बहुत अधिक नहीं बढ़ी है।
टिहरी, रुद्रप्रयाग से मरीज रेफर करना मजबूरी
टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले के किसी भी अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए ब्लड बैंक में प्लेटलेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों को बाहरी अस्पतालों में जाना पड़ता है। इस साल जिले में अभी डेंगू के ज्यादा मरीज नहीं हैं। लेकिन पिछले साल इस वजह से बड़ी संख्या में मरीजों को मजबूरन रेफर करना पड़ गया है। जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ आरएस पाल ने बताया कि जिला अस्पताल में प्लेटलेट की सुविधा नहीं है। गंभीर मरीजों को सीधे बेस अस्पताल रैफर किया जाएगा जहां प्लेटलेट की सुविधा है।
ब्लड बैंकों का किया जाएगा कायाकल्प
उत्तराखंड में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर कुल 52 ब्लड बैंक हैं। इसमें से 26 सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंक ऐसे हैं जहां पर मरीजों के लिए खून से प्लेटलेट अगल करने वाली सैफरेशन मशीन के साथ ही कर्मचारियों की दिक्कत है। इस वजह से राज्य भर में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
हालांकि प्रभारी सचिव और एनएचएम के एमडी डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि एनएचएम के तहत राज्य के ब्लड बैंकों को उच्चीकृत करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन ब्लड बैंकों में ब्लड सैफरेशन की सुविधा नहीं है वहां सुविधाओं का विकास किया जाएगा और अन्य कमियां भी दूर होंगी।
ब्लड बैंक में कर्मचारियों की कमी, काम अटके
डेंगू का सीजन चल रहा है, लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। दून अस्पताल के ब्लड बैंक में तकनीशियनों की कमी है। इससे यहां पर कई काम अटक जा रहे हैं। गंभीर मरीजों को ज्यादा प्लेटलेट की जरूरत पड़ी तो आगामी दिनों में दिक्कत हो जाएगी। प्रबंधन द्वारा इस ओर ध्यान न देने से कर्मचारियों में भी गुस्सा है।
ब्लड बैंक में 15 से 17 सितंबर तक लगे शिविरों के माध्यम से करीब 300 यूनिट रक्त आया। एक शिफ्ट में एक ही तनीशियन रहता है। वह रक्त के लिए आने वाले तीमारदारों को अटेंड करता है और ब्लड डोनेशन समेत अन्य कार्य देखता है। इसी वजह से चार दिन के भीतर इन सभी यूनिट्स के कंपोनेंट पीआरबीसी, एफएफपी, प्लेटलेट निकालने, ग्रुपिंग, टीटीआई एचआईवी, एचसीवी, एचबीएसएजी, मलेरिया और सिफिलिस की जांच आदि का कार्य नहीं हो सका।
सोमवार को भी करीब 50 यूनिट ब्लड की यह प्रक्रिया बाकी थी। वहीं रक्त लेने आने वाले लोगों को भी काफी देर कर्मचारियों की कमी की वजह से लग रही है। प्लेटलेट्स के फ्रेश ब्लड से उसी दिन प्रक्रिया करनी होती है। यहां पर वरिष्ठ तकनीशियन सुभाष शर्मा, सारथी जखमोला, जितेंद्र रावत, आशीष खाली, गणेश गोदियाल, प्रीतम रावत, दीपक जगवाण हैं, जो तीन शिफ्टों में अलग अलग ड्यूटी करते हैं।
लैब तकनीशियन एसो. के मुख्य संरक्षक सुभाष शर्मा का कहना है कि वर्तमान में अत्यधिक कार्य को देखते हुए यहां पर 14 तकनीशियनों की जरूरत है। जबकि सृजित नौ पदों के सापेक्ष सात ही कर्मचारी तैनात है। ऐसे में शिविर, कंपोनेंट बनाने, क्रॉस मैचिंग एवं डोनेशन लेने समेत अन्य कार्यों में दिक्कत हो रही है। इस संबंध में प्रबंधन को एसो. की ओर से पूर्व में कई बार अवगत कराया गया है।
प्लेटलेट्स को अभी दिक्कत नहीं, आगे होगी
रक्तदान शिविर लगने से ब्लड बैंक से प्लेटलेट्स देने में अभी दिक्कत नहीं है। आने वाले दिनों में यह दिक्कत हो सकती है। क्योंकि फ्रेश रक्त की जरूरत प्लेटलेट्स के लिए होती है। प्लेटलेट्स बन जाने के बाद पांच दिन तक इसे प्रयोग कर सकते हैं। प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि ब्लड बैंक के जिम्मेदारों से इस संबंध में पता कराया जा रहा है। कर्मचारियों की कमी को दूर किया जाएगा।
Read Next
October 30, 2024
Kashi and Mathura should shine like Ayodhya: CM Yogi at Ayodhya Deepotsav
October 30, 2024
Kerala: 16 candidates to contest in Wayanad, 10 in Palakkad & six in Chelakkara
October 30, 2024
SCBA condemns lathi charge on advocates in Ghaziabad, demands judicial inquiry
October 30, 2024
Railways ramps up services to handle festive rush for Diwali, Chhath Puja
October 30, 2024
Kejriwal urges people to light diyas, avoid firecrackers on Diwali
October 30, 2024
Army dog Phantom honoured after sacrificing life in anti-terror op in J&K
October 30, 2024
Delhi govt health care model is superior to Ayushman Bharat: AAP
October 30, 2024
AAP, Bengal govt are 'Janata virodhi': BJP's Gautam over Ayushman Bharat row
October 30, 2024
New Rs 2-cr extortion-death threat to Salman Khan, Mumbai cops probe (Ld)
October 30, 2024