उत्तराखंड में धान का उत्पादन गिरने की आशंका

उत्तराखंड के तराई में इस बार समय पर बारिश नहीं होने से धान की खेती बुरी तरह प्रभावित हो गई है। प्रति एकड़ 8 से 10 कुंतल तक धान का उत्पादन गिरने की आशंका से किसान परेशान हैं।  ऊधमसिंह नगर जिले में करीब एक लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। धान की रोपाई के बाद इस बार जुलाई और अगस्त में बारिश नहीं के बराबर हुई है। कई खेतों में पौध में कोंपल तक नहीं फूट पाई हैं। पिछले साल की तुलना में धान में बालियां भी कम हैं। इसके अलावा बेमौसमी बारिश से फसल भी लेट हो गयी है। किसान विक्रमजीत सिंह का कहना है विगत वर्ष तक प्रति एकड़ 28 से 30 कुंतल धान निकलता था, लेकिन इस बार बेमौसमी बारिश से यह 20 से 22 कुंतल तक ही निकलने की आशंका है। मौसम वैज्ञानिक डॉ.आरके सिंह का कहना है कि  इस वर्ष धान की फसल की रोपाई के बाद बारिश नहीं हुई। अब बेमौसमी बारिश हो रही है। इससे इस बार धान की फसल का 20 से 30 फीसदी तक उत्पादन कम होने की आशंका है। मंडी न होने से किसान धान की खेती से खींच रहे हाथ रुड़की क्षेत्र में धान का रकबा कम हो रहा है। किसानों का कहना है कि एक तो समय पर बारिश नहीं हुई। दूसरा मंडी न होना इसका सबसे बड़ा कारण है। रेट भी धान के नहीं बढ़े हैं। पंजाब की तर्ज पर प्रदेश में भी मंडियां स्थापित होनी चाहिए। किसान दिलशाद, आदिल, उदयवीर, सोम सिंह सैनी ने बताया कि धान मंडी न होना रकबा घटने का कारण है। जिला मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी का कहना है कि रकबा कितना घटा इसका आंकलन किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन टिकैट के प्रवक्ता राकेश लोहान का कहना है कि क्रय केंद्र सरकार की ओर से स्थापित नहीं किए जाते। सिंचाई की समस्या भी किसानों के सामने हो रही है। बढ़ती समस्याओं ने किसानों को धान की फसल से दूर कर दिया है। बहादराबाद में भी उत्पादन कम होने की संभावना बहादराबाद। बहादराबाद क्षेत्र में भी धान के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। मुख्य कारण पूर्व की भांति बीज की प्रजाति का न होना और फसलों को समय से पानी नहीं होना सामने आ रहा है। किसानों ने दावा किया कि पांच वर्ष पहले जो फसलों के बीज किसानों को मिलते थे। वह प्रजाति विलुप्त हो गई है। मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराडी ने बताया कि हरिद्वार में धान के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। इसके कारण का पता लगाया जा रहा है।
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