शिरोमणि संत भगत रविदास जी के जन्मदिन पर सजा कीर्तन दरबार

शिरोमणि संत भगत रविदास जी का जन्म दिवस बड़े ही श्रद्धा के साथ गुरुद्वारा दुख निवारण गुरु का ताल पर मनाया गया, भगत रविदास जी के जन्मदिन की खुशी में विशेष कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया जिसमें कीर्तन दरबार की शुरुआत सोदर रहरास साहिब जी के पाठ से हुई हजूरी रागी भाई जगतार सिंह ने भगत रविदास जी की वाणी ऐसी लाल तुझ बिन कोन करै गरीब निवाज गुसईया मेरा माथे छतर धरै || का गायन किया साथ ही हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह जी ने भगत रविदास जी उच्चारण की गुरबाणी बहुत जन्म बिछड़े थे माधो, एह जन्म तुमारे लेखे || भावार्थ हे परमपिता परमात्मा हम आपसे कई जन्मों से बिछड़े हैं आपकी कृपा से यह मनुष्य देहि प्राप्त हुई है पिछले कई जन्मों जन्मों से आप से बिछड़े है पर यह जन्म आपकी भक्ति और सेवा में अर्पण हैं, का गायन कर संगत को निहाल किया ज्ञानी केवल सिंह ने कथा में बताया के भगत रविदास जी का जन्म लगभग 1477-1478 माघ की पूरनमासी वाले दिन माता कलसी जी पिता संतोख दास जी के घर वाराणसी में हुआ भगत रविदास जी की उच्चारण की गई वाणी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में 16 रागो में दर्ज है जिसमे राग श्री राग, राग गौडी , राग आसा, राग गूजरी, राग बिलावल, राग गौंड, राग रामकली, राग केदार, राग बसंत, राग मलार, राग मारू आदि में लग भाग 40 शबद वा 1 सलोक अंकित है ॥

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मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह जी ने बाहर से आई सभी संगत का धन्यवाद किया मीडिया प्रभारी मास्टर गुरनाम सिंह

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